Divyesh Joshi

પુરાણ જ્ઞાન : જાણો સંતાન વીસે......?

જાણો સંતાન વીસે......?


सन्तान पुत्र होगा या पुत्री  ?



  • पुत्र या पुत्री योग:-


सूर्य, मंगल, गुरू पुरूष ग्रह हैं। शुक्र, चन्द्र स्त्री ग्रह है। बुध और शनि नपुंसक ग्रह है। संतान योग कारक पुरूष ग्रह होने पर पुत्र तथा स्त्री ग्रह होने पर पुत्री का सुख मिलता है। शनि और बुध योग कारक होकर विषम राशि में हो तो पुत्र व समराशि में हो तो पुत्री प्रदान करते हैं।

  • संतान पक्ष में बाधा के योग:-



  •  यदि 5th हाउस के लाॅर्ड पाप भाव (6,8,12) में हो तो संतान प्राप्ति में बाधा या विलम्ब होता है। 
  •  (6,8,12) के स्वामी का 5th हाउस में बैठना भी संतान प्राप्ति को बाधित करता है। 
  •  यदि 5th हाउस के लाॅर्ड नीच राशि में हो तो भी संतान सुख में बाधा डालता है। 
  •  बृहस्पति यदि (6,8,12) में हो तो संतान पक्ष से जुड़ी समस्याएं उपस्थित होती हैं। 
  •  बृहस्पति है नीच राशि (मकर) में होना भी संतान सुख में कमी करता है।
  • बृहस्पति जब राहु के साथ होने से पीड़ित हो तो भी संतान सुख में बाधा या विलम्ब होता हैं। 
  • 5th हाउस में पापग्रहों का शत्रु राशि में बैठना या 5th हाउस में कोई पापयोग
            बनना भी संतान प्राप्ति में बाधक बनता है।


  • संतान सुख

जन्म कुण्डली में ‘संतान योग’ यदि हो, तभी संतान की प्राप्ति होती है। लेकिन संतान के रूप में पुत्र होगा या पुत्री मिलेगी, इसकी जानकारी भी कुण्डली में उस समय पर मौजूद ग्रह-नक्षत्र बता सकते हैं।


  • पुत्र प्राप्ति के योग

अगर कुण्डली में लग्नेश पंचम में हो तथा उस पर चंद्र की पूर्ण दृष्टि हो तो पुत्र संतान होती है। लग्नेश जब गोचरवश- पंचमेश से योग करे, अपनी उच्च राशि में आए, अपनी स्वराशि में आए तब पुत्र प्राप्ति हो सकती है।

उपरोक्त कथन सिर्फ ज्योतिष पर  आधारित है संतान देना और ना देना, दोनों ही ईश्वर के हाथ है। इंसान तो केवल एक अर्ज कर सकता है, लेकिन भगवान की इच्छा हो तभी उसे संतान सुख प्राप्त होता है। किंतु संतान होगी या नहीं और संतान में क्या मिलेगा, इसके बारे में जाना जरूर जा सकता है !!

                    

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